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दक्षिण कोरिया मार्शल लॉ, राष्ट्रपति यून सुक-योल का मार्शल लॉ हटाने का ऐलान

दक्षिण कोरिया मार्शल लॉ, राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अचानक घोषित किए गए मार्शल लॉ को हटाने का किया ऐलान

दक्षिण कोरिया मार्शल लॉ: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने बुधवार को कहा कि वह कुछ घंटों पहले घोषित किए गए मार्शल लॉ को हटा देंगे। यह घोषणा उस समय की गई जब दक्षिण कोरिया के संसद ने उनके विवादास्पद फैसले को अस्वीकार कर दिया, जिसके तहत राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव था। इस घटनाक्रम ने देश में राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया था और व्यापक चर्चा का विषय बन गया।

राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा से पूरे देश में हलचल मच गई थी। यह फैसला उस समय लिया गया जब संसद में उनके राजनीतिक निर्णय पर तीव्र विरोध हुआ। यून के प्रस्ताव में यह था कि राजनीतिक दलों और नेताओं को कुछ समय के लिए अपने राजनीतिक कामकाज को रोकने के लिए कहा जाएगा, ताकि देश में कुछ विशेष मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। हालांकि, इस निर्णय को लेकर कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया था, और इसे लोकतंत्र पर हमला माना था।

मार्शल लॉ की घोषणा

दक्षिण कोरिया मार्शल लॉ, राष्ट्रपति यून सुक-योल का मार्शल लॉ हटाने का ऐलान
source – Moneycontrol

राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ की घोषणा करते हुए कहा था कि यह कदम देश के स्थिरता और सुरक्षा की रक्षा के लिए लिया गया है। उनका कहना था कि कुछ राजनीतिक समूह और नेता देश में अव्यवस्था फैला रहे थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती थी। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि यह असामान्य स्थिति थी, और इसे संभालने के लिए सख्त कदम उठाए गए थे। मार्शल लॉ का मतलब था कि सरकार के पास असाधारण शक्तियां होंगी, जैसे कि नागरिकों की स्वतंत्रता पर कुछ प्रतिबंध और सेना का प्रयोग, यदि आवश्यक हो।

हालांकि, इस फैसले के बाद से राजनीतिक वातावरण में आक्रोश फैल गया। विपक्षी दलों ने इसे तानाशाही की ओर एक कदम बढ़ते हुए देखा और सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उन्होंने राष्ट्रपति के इस कदम को न केवल अव्यवस्था बढ़ाने वाला, बल्कि संविधान का उल्लंघन करने वाला भी बताया।

संसद का विरोध

जब यह खबर फैल गई कि राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ की घोषणा की है, तो संसद में तीव्र बहस शुरू हो गई। विपक्षी दलों ने तत्काल इस फैसले का विरोध किया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि यह फैसला चुनावी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है और इससे नागरिकों के अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

संसद के भीतर बहस के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ भारी विरोध है। विपक्षी सांसदों ने इसे राष्ट्रपति की तानाशाही प्रवृत्तियों का प्रमाण बताया। कई सांसदों ने यह भी कहा कि मार्शल लॉ की घोषणा से देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है और इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को नुकसान हो सकता है।

राष्ट्रपति का बदलाव

संसद में भारी विरोध और राजनीतिक दबाव के बाद, राष्ट्रपति यून ने अपनी घोषणा को पलटने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि वह कुछ घंटे पहले घोषित किए गए मार्शल लॉ को हटा देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य देश में सुरक्षा बनाए रखना था, लेकिन अब उन्हें महसूस हुआ कि यह कदम राजनीतिक संकट को और बढ़ा सकता है।

राष्ट्रपति यून ने कहा कि वह संसद के फैसले का सम्मान करते हैं और इसके बाद वह अपनी सरकार की नीतियों पर पुनः विचार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके प्रशासन का प्राथमिक उद्देश्य देश की स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना है, और वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करते हैं।

राजनीतिक स्थिति का भविष्य

दक्षिण कोरिया में इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक स्थिति पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं। राष्ट्रपति यून सुक-योल का यह कदम देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर उनकी सरकार को सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने का श्रेय मिलता है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रकार के फैसले लोकतंत्र पर हावी होने के संकेत हैं।

दक्षिण कोरिया मार्शल लॉ, राष्ट्रपति यून सुक-योल का मार्शल लॉ हटाने का ऐलान
source – Zee News India

मार्शल लॉ की घोषणा और फिर उसे हटाने के इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि राजनीतिक असहमति और विरोध को दबाने के प्रयासों के बजाय, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संवाद की ओर कदम बढ़ाना आवश्यक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति यून इस घटनाक्रम के बाद अपनी नीतियों में क्या बदलाव करते हैं और दक्षिण कोरिया की राजनीतिक स्थिति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि लोकतंत्र में किसी भी राजनीतिक कदम को जनता और संसद की राय के बिना लागू नहीं किया जा सकता, और हर निर्णय को एक गंभीर समीक्षा की आवश्यकता होती है।

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